आपकी ज़िंदगी बदल सकती है, अगर आप ये अपनाएँगे!
भगवान ने सबको वही बराबर के 24 घंटे दिए हैं, किसी को कम या ज़्यादा नहीं मिले है। ऐसा नहीं है कि जो लोग सफल हैं, उन्हें कोई अतिरिक्त समय मिलता है और बाक़ियों को नहीं मिलता। फ़र्क़ बस इतना सा है कि कौन अपने समय का सदुपयोग करता है और कौन उसे व्यर्थ गँवाता है। अगर आप कभी छात्रवास में रहे हो तो शायद इस बात को अच्छे से समझ पाएँगे। आपने देखा होगा कि छात्रवास में कुछ छात्र ऐसे होते थे, जिनका हर काम समय पर ख़त्म होता था या यूँ कहें की समय से पहले। और कुछ छात्र ऐसे होते थे, जिनको पता ही नहीं होता था कि करना क्या है। सोने के टाइम पर उनकी मस्ती चल रही होती थी और क्लास के टाइम पे वो सो रहे होते थे।
बचपन की यही आदतें कई बार उम्र के हर पड़ाव पर हमारे साथ साथ चली आती हैं। बचपन तक तो फिर भी ठीक रहता है, पर अगर बड़े होकर भी ते बुरी आदतें हमारा साथ नहीं छोड़ती हैं तो फिर सफलता हमारा साथ छोड़ देती है। फिर हम निराश होकर घूमते हैं, सफल लोगों को देख कर सोचने हैं कि इन्हें कैसे सफलता मिली, हमें क्यूँ नहीं मिली। हमें लगता है कि ज़रूर ये लोग साधन सम्पन्न होंगे तभी सफल हो गए। पर ऐसा नहीं है, सबसे बड़ा साधन एक ही है, और वो है “समय” , जो की सबको बराबर मिलता है। अब ये हमारे हाथ में है कि उसे कितने अच्छे से इस्तेमाल करना है और सफल होना है। या फिर समय व्यर्थ गँवा के भाग्य को कोसना है।
सफलता और असफलता तय करने में परिस्थितियों का भी होता है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। परंतु मेहनत की जाए तो फिर क्या सम्भव नहीं है। मेहनत ही सफलता की कुंजी है। मेहनत से हम अपने सीमित संसाधनों से भी सफलता पा सकते हैं। आज हम यहाँ कुछ ऐसी चीज़ों पर प्रकाश डालेंगे, जिनसे हम अपनी ज़िंदगी बदल सकते हैं, या यूँ कहें कि बदलने की कोशिश तो कर ही सकते हैं। इसमें सबसे पहले है
समय का सदुपयोग –
समय ही सबसे बड़ा संसाधन है। ऐसा संसाधन जो सबको बराबर मात्रा मिला है। बाक़ी रुपया पैसा, सोना चाँदी, घर जायदाद तो सबको कम ज़्यादा मिलती है परंतु समय सबको बराबर मिलता है। निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी अपने समय का सदुपयोग करके व मेहनत करके सफल हो सकता है। वहीं दूसरी तरफ़ कोई धनवान व्यक्ति अगर समय की क़ीमत नहीं समझता है और उसे व्यर्थ गँवाता है, तो उसे अर्श से फ़र्श पर आने में वक़्त नहीं लगता है।
समय के सदुपयोग के लिए आपको सबसे पहले अपनी दिनचर्या के हिसाब से टाइम टेबल बनाना चाहिए।अपने बच्चों में बचपन से ही टाइम टेबल के हिसाब से काम करने की आदत डालें। बचपन में अपनाई गईं अच्छी आदतें, जीवन भर आपका साथ निभाती हैं।टाइम टेबल बनाते वक़्त अपने लिए, काम के लिए व अपने परिवार के लिए समय निर्धारित करें। हर चीज़ की अपनी महत्ता होती है, इसलिए सिर्फ़ काम के पीछे भागने से आप जीवन में सुखी नहीं रह सकते।अपने लिए, अपने स्वास्थ्य के लिए समय ज़रूर निकालें। सेहत है तो सब है, सेहत ठीक नहीं होगी तो आप काम भी ठीक से नहीं करेंगे।काम या फिर ऐसे कहो कि नौकरी तो सबको करनी है, क्यूँकि आज के समय में पैसा ही सफलता का पैमाना माना जाता है। इसलिए ख़ूब काम कीजिए, ख़ूब पैसा कमाइए, पर साथ ही साथ परिवार के लिए भी पर्याप्त समय निकालिए। आख़िर आप अपने परिवार की ख़ातिर ही तो काम रहे हैं।दो तरह का टाइम टेबल बनाएँ, एक तो अपनी दिनचर्या के लिए, दूसरा टाइम टेबल पूरे साल को ध्यान में रख के बनाएँ। जिसमें एक पूरे साल में आपको क्या क्या ज़रूरी काम करने हैं, उनको लिखिए, जैसे बच्चों की फ़ीस जब जानी है, बीमा की रक़म कब भरनी है, कार की सर्विस कब करवानी है, मकान या कार की किश्त कब भरनी है, बच्चों की छुट्टियाँ कब होंगी, छुट्टियों में आपको कहाँ घूमने जाना है, अगर माता-पिता साथ नहीं रहते तो उनसे मिलने कब कब जाना है इत्यादि।
स्वास्थ्य का ध्यान रखें –
जिस तरह से समय सबसे बड़ा संसाधन है, उसी प्रकार स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है। अगर आपका स्वास्थ्य अच्छा है तो आप सीमित संसाधनो में भी प्रसन्न रह सकते हैं, पर अगर आपका स्वास्थ्य अच्छा नहीं है तो आपका धन भी किसी काम का नहीं है। क्यूँकि फिर आपके चाहे कितने भी संसाधन क्यूँ ना हो, बिना स्वस्थ शरीर के आप उनका इस्तेमाल नहीं कर सकते। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं –
व्यायाम अथवा योगा अपनाएँ –
सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें। सुबह का समय सबसे अधिक बेहतर होता है योग व व्यायाम के लिए। सुबह कम से कम 45 मिनट अवश्य निकालें व्यायाम के लिए। 30 मिनट तक तेज़ सैर या दौड़ लगाना शरीर के लिए बहुत फ़ायदेमंद है, उसके बाद 15 मिनट तक व्यायाम करिए। या फिर 30 मिनट तक योगासन करिए और उसके बाद 15 मिनट तक प्राणायाम अथवा ध्यान कीजिए। स्वस्थ शरीर व शांत मन के लिए ध्यान, योग व व्यायाम अतिआवश्यक है।
शाम के समय में आधा घंटा सैर अवश्य करें। सैर करने से आपके शरीर में जमा अतिरिक्त वसा से आपको मुक्ति मिलती है व सुबह शाम के समय चलने वाली ठंडी ताज़ी हवा से आप तरोताज़ा रहते हैं।छोटे बच्चों को शाम के समय खुले मैदान या पार्क में खेलने ज़रूर भेजें। बाहर खेलने से उन्हें ताज़ी हवा मिलेगी व शरीर तंदरुस्त रहेगा।पानी अधिक पिएँ। अच्छी सेहत का राज ज़्यादा पानी पीने में छुपा है। ये आपको कई तरह की बीमारियों से दूर रखता है। और जब आप बीमारियों से दूर रहेंगे तो ज़िंदगी बेहतर तरीक़े से जी पाएँगे।खानपान की आदतें सुधारें। आज कल की जीवन शैली में हमारे स्वास्थ्य पर सबसे अधिक बुरा असर अगर किसी चीज़ का पड़ रहा है तो वो है हमारा खानपान। जंक फ़ूड से दूर रहे, घर का बना साफ़ स्वच्छ खाना ही खाएँ। तले पदार्थों व मसालेदार चीज़ों से दूर रहें, आधी से ज़्यादा बीमारियों की जड़ यही है।
सुबह जल्दी उठें व रात को जल्दी सोएँ –
ऐसे तो आयुर्वेद में कहा गया है कि हमें सूर्यास्त के उपरांत जल्दी सो जाना चाहिए और सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। परंतु आज कल की जीवन शैली में ऐसा सम्भव नहीं है। 7-8 घंटे की नींद स्वस्थ रहने के लिए अतिआवश्यक होती है, इसलिए हमें रात को जल्दी सोने का प्रयास करना चाहिए, ताकि सुबह जल्दी उठा जा सके। सुबह जल्दी उठने के कई फ़ायदे हैं, जैसे –
सुबह जल्दी उठने पर हम अपने लिए पर्याप्त समय निकाल पाएँगे।सुबह जल्दी उठ कर व्यायाम करना सेहत के लिए लाभदायक होता है, पर अगर हम देर से उठते हैं तो व्यायाम के लिए समय नहीं मिल पाता।कई बार देर से उठने पर हम हर काम में ही लेट होते जाते हैं, ऐसे में बिना खाए पिए ही अपने काम पे निकल जाते हैं। पूरा दिन स्फूर्ति से रहने के लिए व ताक़त बनाए रखने के लिए सुबह का नाश्ता बहुत ज़रूरी होता है।देर से उठने में हर काम हड़बड़ी में होता है, जिसकी वजह से कई ग़लतियाँ भी हो सकती हैं।
सही तरीक़े से जीवनयापन करने का राज सही जीवन शैली अपनाने में ही छिपा है। अपने जीवन को व्यवस्थित तरीक़े से जीना शुरू कीजिए, आप हर काम में सफल होते जाएँगे। अपने समय का सदुपयोग करिए, अपने स्वास्थ्य का ख़्याल रखिए, अपने परिवार व मित्रों को पर्याप्त समय दीजिए, प्लानिंग करके चलिए कि आपको कब कौन सा काम करना है। फिर देखिए, सफलता आपके क़दम चूमेगी।
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